हमारा चेहरा रौशनी से चमके और हमारे दिल पाक हो !

मौलाना शेख नजीम का प्रतिदिन की सुह्बह

हमारा चेहरा रौशनी से चमके और हमारे दिल पाक हो !

7 मई 2011

औज़ुबिल्लाह हिम्निअश शैतान निर्रजीम

विस्मिल्लाह-हीर रहमान –निर् रहीम

अस्सलामु ‘ अलैकुम वरः व्ब्क्त

(मौलाना तुर्की में घरेलू महिलाओं के एक समूह से मिले, और उन्हें उनके जीवन से सम्बंधित बातों के बारे में सलाह प्रदान की – जिसमें शिक्षा, निकाह, सुरक्षा और जीवन से जुड़ी अन्य विशेष बातें, जिसपर हम सभी को अमल करना चाहिए. टिप्पणियाँ एक विशेष प्रकार के रंगीन फोंट में है.)

मौलाना अपने मुरीदों को एक स्वीकृत और शक्तिशाली दुआ का पढाते है.

मौलाना शेख नजीम दुआ का पाठ करते हुए.

  • मौलाना अतिथियों का अभिवादन एक प्यारे से दोहे के साथ करते है.,”अल्लाह आपकी अंतिम मंजिल की राह को सुन्दर और अच्छा बनाये. आप इज्जत और प्रतिष्ठा, विश्वास और धर्म के साथ अपना जीवन जीयें. आप अपने दिव्य स्वरुप को स्वच्छ, उज्जवल और चमकते चहरे के साथ प्राप्त करे.”
  • मौलाना तब उपस्थित लोगों को इस इस श्रेष्ठ और शक्तिशाली दोहे का पाठ करने की शिक्षा देते है, जो इनके धन्य ह्रदय में प्रस्फुटित हुआ है, ”या हमारे परवरदिगार, हमारे चेहरों को अपनी पाक रौशनी से आलोकित कर दीजिए, और हमारे दिलों को पाक और शुद्ध बना दीजिए.” जो कोई भी इस दोहे का पाठ करेगा, वह देखेगा कि उसके दोहे को अल्लाह द्वारा कबूल किया गया है, और वह पायेगा कि उसके चेहरे का दिव्य नूर बढ़ता जा रहा है, और जो कठिनाइयाँ और दुःख उनके दिलों को कष्ट देती थी, वह समाप्त हो रही है, और दिव्य शक्ति की उपस्थिति में उसे गौरव प्राप्त होगा.

 

  • सहयोग के लिए पूछे.

मौलाना अपने मुरीदों को पुन: याद  दिलाते हुए कहते है कि आप सूफी-संतों का सहयोग प्राप्त करें. इस दौरान आप उच्चारण करते रहे, ‘मदद. या सय्यीदी, मदद.” (यहाँ मदद का अर्थ है,” हमें अपना सहयोग प्रदान कीजिये”).

 

आप सभी को पुन: याद  दिलाते हुए कहते है कि अपने सभी कार्य विस्मिल्लाह-हीर रहमान –निर् रहीम का स्मरण करते हुए कीजिये.

शिक्षा और नौकरी से सम्बंधित

  • मौलाना सभी को सलाह देते हुए कहते है कि यदि उनके बच्चों को विश्विद्यालयों में दाखिला नहीं मिलता है, तो इसके लिए उन्हें चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है. इसके बजाय एक व्यावहारिक कौशल सीखना कही बेहतर है. आज अनेक स्नातक बेरोजगार है. उस जल की तरह जो चीनी के घुलने से संतृप्त हो जाता है, ठीक उसी तरह से, अनेक देशों की सिविल सेवा स्नातकों को रोजगार प्रदान नहीं कर सकती है.

महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में स्वतंत्र रूप से लड़के-लड़कियों का मिलना

आज महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के परिसर में स्वतंत्र रूप से मिलना एक आम बात हो गई है.

 

  • यह निर्णय लिए जाने वाले दिन के आगमन का चिन्ह है. वे माता-पिता जो अपनी बेटियों को मिश्रित स्कूलों में भेजते है, उन्हें निर्णय के दिनों में दो बार दण्डित किया जायेगा. (एक दंड उन्हें नियमों की अवहेलना के लिए दिया जायेगा, और दूसरा उनकी बेटियों के बदले में.) इस दुनिया में मिलने वाली सजा, अखेरात में मिलने वाली सजा की तुलना में कुछ भी नहीं है. इसलिए इस जहां की चिंता मत कीजिये, निर्णय के दिन के बारे में सोचिये, जब आपको खुदा के सवालों का जवाब देना होगा.
  • उस दिन अल्लाह आपसे पूछेगा, “तुमने अपनी बेटी को इस आदमी के साथ बैठने की इजाजत क्यों दी, जब वह इसका महरम नहीं है? क्या यह कार्य उसके लिए हलाल या हरम थी? तुमने अपनी बेटी को मिश्रित स्कूल में भेजने की अनुमति क्यों प्रदान की? क्या तुम सोचते हो कि उन्हें स्कूलों में स्वतंत्र रूप से मिलने की इजाजत दी गई थी? क्या मैंने तुम्हें इस तरह से औरतों और मर्दों को मिलाने की आज्ञा दी थी? या मैंने तुम्हें उसकी पवित्रता को बचाने का आदेश दिया था? तुम्हारी प्रतिष्ठा कहाँ है? तुम्हारी नैतिकता कहाँ है? इस दंड से बचने का कोई रास्ता नहीं है, जो उनपर इंसाफ के दिनों में गिरेगी.
  • आज – कल महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों का परिसर स्वतंत्र रूप से लड़के-लड़कियों का मिलन – स्थल के रूप में पूर्ण रूप से भरा होते है, और उनके बीच बहुत कुछ होता है, जिनसे उनकी सदाचार और सादगी, गरिमा और विश्वास समाप्त हो जाती है. (क्या इसे वास्तव में ‘शिक्षा प्राप्त’ करना कहा जा सकता है? जब आपकी बेटी जिसे आपने विदेश में शिक्षा प्राप्त करने के लिए भेजा था, वह असंयमी प्रकृति की, अनके प्रकार के यौन रोग और गर्भ लेकर घर वापस लौटती है.? यह किस प्रकार की शिक्षा है, जब इस प्रक्रिया में वे भ्रष्ट हो गई है?) मौलाना अल्लाह से इबादत करते हुए कहते है कि जिन लोगों ने इस पतनशील शिक्षा की वकालत की और उसे लागू किया, उनका अंत बहुत बुरा होगा.

विवाहित महिलाओं को घर पर गृहिणियों के रूप में रहना चाहिए

पैगंबर ने (देखा) कहा, “यह दुनिया एक सजावट है, और सबसे अच्छी सजावट एक पवित्र पत्नी है.”

  • मौलाना इस बात पर अफसोस प्रकट करते हुए कहते है कि कोई भी उनकी सलाह पर कान नहीं देता है, ऐसा लगता है, मानो वे दीवार से बातें कर रहे हो. मौलाना कहते है कि दीवारें उनकी बातों को शायद सुन भी ले, परन्तु वे लोग कभी नहीं ध्यान देते है, जिन्हें वे सलाह देते है. यह ऐसा समय है, जब लोग शैतान की सलाह पर अमल करते है, परन्तु अल्लाह के आदेशों की अवहेलना करते है!
  • सर्वशक्तिमान अल्लाह के आदेशों की अवहेलना करने से क्या मनुष्य को कुछ भलाई या लाभ हो रहा है? नहीं, इसके वाबजूद मनुष्य अल्लाह के आदेशों की अवहेलना करने से बाज नहीं आ रहा है. इसलिए, उसका जीवन कठिनाइयों और दुखों से भर गया है. उनके दिल टूट गए है, (क्योंकि उन्हें इच्छित शांति और संतुष्टि प्राप्त नहीं हो सकी है.) और (बीमारी और दुःख से ग्रस्त होने) के कारण उनका शरीर टेढ़ा-मेढा हो गया है. लोग हमेशा बीमार और कमजोर बने रहते है. इन सारी दुखों और कठिनाइयों की उत्पति दैवीय आज्ञा का उल्लघंन करने का परिणाम है.
  • यदि महिलायें इस्लामी शरिया का पालन करते हुए आज्ञाकारी गृहिणी बनती है, (अपने घरों, पति और बच्चों की देख-भाल करना), तो ये सभी मुद्दे पैदा नहीं होंगे.  इसके बदले में उनका चेहरा नूर से जगमगा उठेगा, उनके बच्चें स्वस्थ, होंगे, उनका पति उन्हें खूब प्यार करेगा और उनका घर जन्नत के समान सुन्दर बन जायेगा. (बाहर काम पर जा कर, वे सब कुछ खो देती है और इसका अंत दुखदायक होता है). 

जब कोई योग्य लड़का आपकी बेटी का हाथ मांगने आये तो, अपनी बेटी की शादी उससे कर दे.

मुहम्मद साहब ने (देखा) कहा, “तीन बातों के लिए कभी देर मत करों. प्रार्थना में, जब अजान की आवाज सुनाई देती है. दफनाने में, जब एक व्यक्ति का इंतकाल हो गया हो. विवाह में, जब लड़की के लिए उपयुक्त वर मिल जाये.”

  • अधिकांश माता-पिता अपनी बेटियों का विवाह करने से मना कर देते है, वे उनकी शिक्षा पूरी करने तक इंतजार करते है. क्या लड़की के माता-पिता आशा करते है, कि लड़का उनकी बेटी द्वारा प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए दशकों इंतजार करें? एक बार जब एक योग्य वर मिल जाये, तो इंतजार मत करें! वे अपनी बेटियों का विवाह उसके किशोरावस्था में ही क्यों नहीं करते है? कुछ महिलायें तीस वर्ष की उम्र पार करने तक शिक्षा प्राप्त करती रहती हैं! शिक्षा प्राप्ती को सर्वोच्च प्राथमिकता देकर वे प्रमाण-पत्र प्राप्त करने में सफल हो जाती हैं, परन्तु एक अच्छा पति प्राप्त करने से वंचित हो जाती है! एक बार जब विवाह का प्रस्ताव निकल जाता है तो लड़कियों के लिए दूसरा मौका मिलना अत्यंत कठिन हो जाता है. शेख हज्जाह नाजिया का उदाहरण देते हुए कहते है कि उसका विवाह 15 वर्ष की आयु में हुआ, और आज वह कई बच्चों की दादी हैं.
  • यदि लड़की पहला प्रस्ताव स्वीकार करती है तो उसे ऐसा पति मिलेगा जिसे वह पसंद करेगी. अपनी बेटी का निकाह उस लड़के से कर दे, जो आपके दरवाजे पर सबसे पहले उसका हाथ मांगने आता है! यदि आप उसे इंकार करते है, तो इसके परिणामस्वरूप आप एक ऐसे आदमी को स्वीकार करने के लिए तैयार हो जाये, जिसे शायद आपकी लड़की पसंद नहीं करें. सभी महिलओं के लिए यह महान शेख की नेक सलाह है!
  • निकाह के लिए उचित और सही समय के बीत जाने के बाद, अर्थात विलम्ब से निकाह करने से उनके वैवाहिक जीवन की शुरूआत दुर्व्यवहार और आक्रामक मंच पर होती है, जिसका अंत तलाक के साथ होता है. उनके बच्चें उनसे बिछड़ जाते है और उनका पालन-पोषण भिन्न (तलाकशुदा) माता-पिता द्वारा किया जाता है और यही वह सबसे बड़ी समस्या है जिसने हमारे समुदाय को विगत सौ सालों से बर्बाद कर रखा हैं.

रात्रि में सुरक्षा के लिए आवश्यक निर्देश

यह खतरनाक और अनिश्चिताओं से भरा समय है.

  • महिलाओं को रात्रि में घर से बाहर नहीं जाना चाहिए, यह खतरनाक हो सकता है. पुरुषों को भी रात्रि में सड़कों पर नहीं भटकना चाहिए.
  • पुरुषों को कभी भी महिलाओं को घर में अकेले नहीं छोड़ना चाहिए. आजकल बहुत से शैतान और दुष्ट प्रकृति के लोग शिकार की खोज में घूमते रहते है, इसलिए एक पुरूष को परिवार की देख-भाल के लिए हमेशा घर पर रहना चाहिए.
  • इसलिए पुरुषों को अपने घर पर हमला किये जाने की स्थिति में सुरक्षा के लिए आवश्यक साधन रखना चाहिए, ताकि वह हमलावारों को काबू में कर सके. आत्म-सुरक्षा का अधिकार अल्लाह ने मानवजाति को दिया है.
  • मगरिब के बाद रात्रि को अपने घर का दरवाजा बंद कर लीजिए.
  • बत्तियों को शाम में जल्दी जलाएं और रात्रि को सोने जाते समय उसे जल्दी बुझा दें.
  • अधिक शोर मचाने से बचे.
  • एक-दूसरे का ख्याल रखें.
  • अपने घर के चारों कोनों में अयातुल कुर्सी (सिंहासन की सुराह) का उच्चारण करें, प्रत्येक कोने में इसे ऊपर और नीचे के ओर उड़ा दीजिए.
  • स्वयं के लिए अयातुल कुर्सी का 7 बार उच्चारण करें.
  • 100 बार उच्चारण करें, “या हाफिज, अंतल हाफिज,” (ओ रक्षा करने वाले, आप हमारे रक्षक है.)
  • उसके बाद दुआ, “हे अल्लाह, हम अपने धर्म पर विश्वास करते है, हमारी आस्था, हमारी सम्मान और हमारे सदाचार, हमारे युवा और वृद्ध आपके लिए है. हमारी स्थिति को सुधारें, हे अल्लाह सर्वशक्तिमान, हमारे विश्वास और अपने बच्चों को सुधारें. हे अल्लाह, हम आपसे सुरक्षा और संरक्षा की याचना करते है.

• सोने से पहले स्नान (‘वुधू) करें.

  • सोने से पहले पाक कुरान की दो पन्नों को अवश्य पढ़ें.

इसके बाद, आप भयभीत नहीं हो, अभिभावकों की नियुक्ति कर उन्हें आपको और आपके घरों की सुरक्षा के लिए भेजा जायेगा. एक अतिथि के पूछे जाने पर कि यह शैतान के आने वाले समय का अपशकुन तो नहीं है, मौलाना ने कहा, “हम अभी उसी समय में रह रहें है. आप किस बात का इंतजार कर रहे है?”

इस्तांबुल के लोगों को सलाह

धन्य इस्तांबुल की पुरानी शहर है, जो सुरक्षित रहेगा.

  • इस्तांबुल शहर छोड़ दें और ग्रामीण इलाकों में चले जायें.
  • जो लोग पुराने शहर इस्तांबुल की सीमाओं में रहते है, केवल उनकी ही सुरक्षा और संरक्षा संभव है, वहाँ बहुत सारे मस्जिद है, वहाँ जाकर इबादत कीजिये. निवासियों को अवश्य ही अपनी स्थिति में सुधर लाना चाहिए, उन्हें अपने घरों में रहते हुए ऊपर वर्णित दुआ का पाठ करना चाहिए. तब विशेष देवदूत उनकी रक्षा के लिए भेजे जायेंगे. उस सीमा के बाहर नवनिर्मित क्षेत्र खतरे में है. ऊँचे भवन तो बहुत खतरे में है, और भूकम्प की दृष्टि से बहुत खतरनाक है, जब ये भवन ढहेंगे, तो कोई भी जीवित नहीं बचेगा.
  • जो लोग अनातोलिया से है, उन्हें अपने गांव वापस लौट जाना चाहिए, अन्यथा काला सागर उन्हें निगल जायेगा. वे इस्तांबुल में नहीं रहें.
  • मरमर का समुद्र भी सुरक्षित नहीं है, यह एक ज्वालामुखी पर स्थित है, और समुद्र सतह के नीचे उबल रहा है. यदि यह फटता है, (जैसा कि सन 1999 में गोल्चुक में हुआ था) तो सबसे भयानक खतरा होगा.
  • प्रतिदिन 100 बार उच्चारण करें, “या हाफिज,” (या हमारे रक्षक), और आपको कुछ नहीं होगा.
  • एक अथिति ने पूछा, अनेक युवा सेना में भर्ती हो गए है, उन्हें सुरक्षा के लिए क्या पढना चाहिए. मौलाना ने उनकी समस्या का समाधान करते हुए कहा,    “हस्बुनाल्लाह रोब्बुनाल्लाह (अल्लाह हमारे लिए पर्याप्त है, अल्लाह हमारा खुदा है) और भयभीत नहीं हो.”

 

  • अंतिम सलाह – आवश्यक वस्तुओं का भंडारण कर लें.

हम प्रति क्षण भीषण युद्ध (अर्मगेद्दों) की ओर बढ़ते जा रहे है.

  • सभी को अपने घरों में आवश्यक वस्तुओं और खाद्य पदार्थों का संग्रह अवश्य करना चाहिए, जो कम से कम 40 दिनों तक चले, जैसे चावल, नमक, मक्खन, साबुन, पानी आदि.
  • आप जो कुछ भी 40 दिनों के लिए जमा करेंगे, इंसाअल्लाह, वह तिगुने समय तक चलेगा. इसलिए भयभीत होने की जरूरत नहीं है.
  • इसके साथ मौलाना अपने मुरीदों से अपने लिए इबादत करने के लिए कहते है, कि वे बिस्तर पर पड़े न रह जाये.

अल-फातिहा

 

 

इस 17 मिनट की सुह्बह जो तुर्की में हुई, उसे www.Saltanat.org पर देखा जा सकता है. इसे अभी देखने के लिए यहाँ क्लिक करें.

सल्तनत टीवी मौलाना शेख़ नाजिम की आधिकारिक साइट है जो उनके द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्वीकृति और मंजूरी प्रदान की गई है.

हम अनुवादकों की खोज में है, जो इन अंग्रेजी सुह्बह्स का अधिक से अधिक भाषाओँ में अनुवाद कर सके. हम अनुवादकों को उनके कार्य के लिए पारिश्रमिक प्रदान करेंगे, क्योंकि हमारे पास समय बहुत कम है और संसार में लोगों को बताने के लिय बहुत बचा हुआ है. यदि आप हमरी सहायता कर सकते है तो अपने कार्य के मूल्य के साथ हमसे संपर्क करें. फंड प्राप्त करने के लिए हम हर संभव प्रयास कर रहे है, इसलिए कृपया हमारी सहायता करें.

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Maulana Shaykh Nazim’s daily Suhbahs
May our faces be full of light and our hearts pure!
7th May 2011
A’uzubillah himinash shaitan nirrajeem
Bismillah-hir Rahman-nir Raheem
Assalamu’alaikum wrh wbkt
(Maulana met a group of Turkish housewives and advised them on matters pertaining to their lives – concerning education, marriage, safety and a special do’as that we can all practice. Commentaries are in a different coloured font.)
Maulana taught mureeds an accepted and powerful do’a

Maulana Shaykh Nazim reciting a do

  • Maulana greeted the guests with a lovely do’a, “May Allah make your final destination on the good way. May you live with dignity and honour, faith and religion. May you reach the Divine presence with clean, bright and lighted faces.”
  • Maulana then taught the attendees to read this magnificent and powerful do’a that had been inspired into his blessed heart, “Oh our Lord, brighten our faces with light, and cleanse and purify our hearts.” Anyone who recites this do’a will find that it is accepted, and he/she will find that the heavenly light in his/her face will increase, and any heaviness that troubles the heart will be removed, and he/she will find honour in the Divine presence.

Ask for support

  • Maulana reminded mureeds to constantly seek support from the Saints, by reciting ‘Madad. ya Sayyidi, Madad.” (Madad means ‘support us’).
  • He reminded all to start every action with Bismillah-hir Rahman-nir Raheem.

Concerning tertiary education and jobs

  • Maulana advised all not to worry if their children did not get places in the Universities, for it is better to learn a practical skill. Many graduates today are jobless. Just like water that has been saturated with sugar, the civil service in many countries can no longer absorb graduates into the workforce.

Free mixing of sexes in colleges/Universities

Free mixing on campus is the norm today

  • This is a sign of the approach of Judgement Day. Those parents who send their daughters to mixed schools will be punished twice on Judgement Day (the sin of their defiance, and that of their daughters). Compared to the punishment in akherat, the punishment in this dunia is nothing. So don’t worry about this world, worry about what you will answer Allah on Judgement Day.
  • On that Day, Allah will ask, “Why did you allow your daughter to sit with this man who is not her mahram? Was it halal or haram for her to do so? Why did you allow your daughter to be sent to mixed schools? Did you think it was permitted for them to mix freely in schools? Did I command you to put men and women together like this? Or did I order you to protect her chastity? Where is your dignity? Where is your virtue?” There is no escape from the punishment that will befall them on that Day.
  • Today’s campuses are crammed packed with boys and girls mixing freely, with so much that is happening between them that takes away their virtue and chastity, dignity and faith. (Is that really called ‘acquiring an education’? When the daughter that you had sent overseas, returns home promiscuous, pregnant and with venereal disease? What sort of education is that, where they become corrupted in the process?) Maulana prayed that those who advocated and implemented such a decadent system, meet a bad end.

Married women should remain at home as housewives

The Prophet (saw) said,

  • Maulana lamented the fact that no one takes his advice, it is like talking to the walls. In fact, even the walls may listen, says Maulana, but not those he advises. This is a time, where people lap up all suggestions from shaitan, but reject any command from Allah!
  • Is the defiance towards Allah Almighty’s commands bringing any goodness or benefit to Man? No, yet Man still persists in defying Allah. Hence his life is filled with troubles and sorrows. Their hearts are broken (because they cannot find the peace and satisfaction they so desire) and their bodies are twisted (ravaged by disease and illnesses). People feel ill and weak all the time. All this pain and difficulties arise from resisting Divine orders.
  • If women obeyed the Islamic Shariah by becoming obedient housewives, (tending to their homes, husbands and children), all these issues would not arise. Instead, their faces would be lighted, their children would be healthy, their husbands would have abundance and be their homes would be blessed. (By going out to work, they lose all that and end up suffering).

Marry off your daughters when a suitor comes a-knocking

The Prophet (saw) said,

  • Many parents reject proposals for their daughter’s hand in marriage, preferring to delay until the daughter completes her education. Do parents expect suitors to wait decades for the girls to accept their proposal? Once a suitable suitor knocks at the door, don’t keep him waiting! Why do they not marry off their daughters in their teens? Some ladies even study until they are past the age of thirty! By making education a top-priority, they have succeeded in attaining the certificate, but lost out their chance of attaining a husband! Once that offer passes, it is very hard for a girl to get a second chance. Maulana gave the example of how Hajjah Naziha was married off at 15 years of age, and today, she is already a grandmother.
  • The first offer, if the girl accepts, is a man that she will like. Give your daughters to the first suitable suitor that knocks your door for her hand! If you reject him, then be prepared to accept a man she may not like, subsequently. This is GrandShaykh’s (q) advice to all ladies!
  • By marrying late, after the suitable and prime period of marriage has passed, their marriages start on an ill-tempered and aggressive platform, ending in divorce. The children get separated and brought up by different (divorced) parents, this is what has ruined our Community in the last hundred years.

Instructions for safety at night

These are dangerous and uncertain times

  • Ladies should not go out at night, it is dangerous. Neither should the men roam the streets at night.
  • The menfolk should never leave ladies at home unattended either. There are many evil and wicked people on the prowl nowadays, so a man must be home, to defend his family.
  • Hence Men must have some means to defend himself should his home be attacked, in order to overpower his assailants. Self-defence is a right given by Allah to Mankind.
  • Close your doors at night after maghrib.
  • Turn in early and turn off the lights when you do so.
  • Refrain from making too much noise.
  • Look after each other.
  • Recite Ayatul Kursi (Verse of the Throne) at the four corners of your homes, blow it upwards and downwards at each corner.
  • Recite Ayatul Kursi upon yourselves 7 times
  • Recite, “Ya Hafeez, antal Hafeez,” 100 times (Oh Protector, You are our Protector).
  • Then doa, “Oh Allah, we entrust our religion, our faith, our honour and our virtue, our young and old, to You. Correct our situation, oh Allah Almighty, correct our faith and our children. Oh Allah, we ask You for safety and security.”
  • Take ablution (wudhu’) before sleeping.
  • Read at least two pages of Quran before sleeping.

After that, don’t fear, guardians will be appointed and sent to watch over you and your homes. When asked by a guest, if this is a portent for the evil times ahead, Maulana said, “We are already in those time now. What are you waiting for?”
Advice for people of Istanbul

The blessed old city of Istanbul, which will be safe

  • Leave the city of Istanbul and go to the countryside.
  • There is safety and security for those staying within the borders of the old city of Istanbul only, there are many mosques there, go and pray there. Residents must correct their situation, remain in their homes and recite the do’as taught above – special angels will be sent to protect them. Beyond those borders, all the newly built up areas are in danger. The high rise buildings are in imminent danger, and should a massive earthquake strike, no one will survive when these buildings collapse.
  • Those from Anatolia must return to their villages, or the Black Sea will swallow them. Do not remain in Istanbul.
  • The Sea of Marmara is also not safe, it lies over a volcano, and t
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